गुरु गोरखनाथ कबीर के समकालीन एक सिद्ध पुरुष थे| उन्हें अपने ज्ञान पर बहुत अहंकार था | वे जब तब किसी सभा या जलसे में अपने कौतुक दिखाकर वाह–वाही लूटते रहते थे| वे स्वामी रामानंदजी के आश्रम में आकर उनसे भी वाद – विवाद करते थे |एक दिन वह आश्रम में पधारे तो उनका सामना कबीर दास जी से हो गया| दोनों में किसी बात को लेकर विवाद छिड़ गया| दोनों ही अपनी – अपनी बात को सत्य सिद्ध करने के लिए तरह तरह के कौतुक दिखने लगे | यह वाद – विवाद लंबे समय तक चला और बहुत प्रसिद्ध हुआ | अंत में कबीर जी उनपर भारी पड़ने लगे और गुरु गोरखनाथ उनसे परास्त हो गए | उन्होंने हार मान ली और कबीर के चरण स्पर्श करके वहाँ से चले गए |
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