पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा। फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा..
किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा..
इसी प्रकार निश्चित स्थान पर ध्यान की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है..
चक्की में दो पाटे होते हैं। उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तो अनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है..
यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा..
इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं; एक मन और दूसरा शरीर.. उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है..
अपने मन को ध्यान द्वारा स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं..
यही साधना है..
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