एक छोटे बच्चे को उसकी माता साबुन से मलमल के नहलाती है जिससे बच्चा रोता है, परंतु उसने उसके रोने की कुछ भी परवाह नही करती और जब तक उसके शरीर पर मैल दिखता तब तक उसी तरह से नहलाना जारी रखती है
और जब मैल निकल जाता तब ही मलना रगड़ना बंद करती है।
वह उसका मैल निकालने के लिए ही उसे मलती रगड़ती है, कुछ द्वेषभाव से नहीं ।
माँ उसको दु:ख देने के अभिप्राय से नहीं रगड़ती परंतु बच्चा इस बात को समझता नहीं व् इससे रोता है ।
इसी तरह हमको दु:ख देने से परमेश्वर को कोई लाभ नहीं है परंतु हमारे पूर्वजन्मों के पाप काटने के लिए और हमको पापों से बचाने के लिए और जगत का मिथ्यापन बताने के लिए वह हमको दु:ख देता है।
अर्थात जब तक हमारे पाप नहीं धुल जाते तब तक हमारे रोने चिल्लाने पर भी परमेश्वर हमको नहीं छोड़ता ।
इसलिए दु:ख से निराश मत हो !
Source: Whatsapp
0 टिप्पणियाँ