बाबा श्रीचंद जी गुरु नानक जी के बड़े पुत्र और उदासीन पंथ के संस्थापक थे। बाबा जी के जन्म के समय ही से शरीर पर धूनी की राख लगी थी व एक कान में मांस की मुंदरा थी। बाबा श्रीचंद जी को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है।
और जब गुरु नानक जी विश्व भ्रमण करने के लिए घर से निकल पडे। तब माता सुलाक्खानी जी बाबा श्रीचंद और उनके छोटे भाई बाबा लक्ष्मी दास को ले कर अपने माता -पिता के घर चली गई जो की रवि नदी के बाए किनारे पक्खो के रंधावे में था ।
बाबा श्रीचंद जी की शुरुआत बहुत ही एकांत से हुई और जैसे ही वह बडे हुए उन्होंने सांसारिक मामलों में उदासीनता विकसित की ।
फिर जब गुरु नानक जी विश्व भ्रमण करने के बाद रवि के दाएं किनार पर करतारपुर में बस गए यो की पखोक से दूर नहीं था श्रीचंद जी भी परिवार में शामिल हो गए ।
0 टिप्पणियाँ