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श्री हुध माता जी की आरती



ॐ जय श्री हुध माता ,मैया जय श्री हुध माता
माँ सरस्वती द्वारा उत्पन्न श्री सती गोरी शिवा

कैलाश पति संग बैठी,मन को मोहित करे
भगतन के प्रति रक्षा, सुख सम्पति दाता....ॐ

युग युग अवतरित,होके भूमि भार हरे
अपरम पार तेरी लीला ,अति रोचक गाथा....ॐ

लोक कल्याण के हेतु शिव को विवश किया
अमरनाथ गुफा में, श्रवण की अमर कथा....ॐ

अनादर देख के शम्भू , कुपित हुई माता
हवन कुण्ड में दक्ष के,त्याग दी काया....ॐ

क्रोधित हो गए शम्भू , कंधा दिया सती को
लगी करने भस्म सृष्टि, शिव की महा ज्वाला....ॐ

सुदर्शन चक्र विष्णु ने चलाया, छिन्न-भिन्न अंग किए
कहीं नैना कहीं ज्वाला,अन्त में हुध माता....ॐ

त्याग और तप के कारण,एक सो आठ जन्म लिये
हर बार शिव के हाथों,की जीवन यात्रा....ॐ

अमृत रूपी त्रिसंध्या , की है महिमा बड़ी
स्नान करे इस में जो,भवसागर तर जाता....ॐ

पर्वत पे विराजित ब्रह्मा ,सृष्टि की रचना करे
ब्रह्मसर स्थित निकट में चरणों में दूधा गंगा....ॐ

भक्ति भाव से देवी दास आरती गाता
निर्मल ह्रदय होके मनवचिछंत फल पाता....ॐ

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