जय , जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु
,छाया महतारी ।।
जय , जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी ।
श्याम अंक वक्र दुष्ट
चतुभुजअधारी ।
नीलांबर धार नाथ गज की
असवारी ।।
जय , जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी ।
किरीट मुकुत शीश सहज दिपत है लिलिरी ।
मुक्तन की माल गले शोभित
बलिहारी ।।
जय , जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी ।
मोदक मिष्ठान ,पान चढात हें
सुपारी ।
लोहा , तिल,तेल , उड़द,
महिषी अति प्यारी ।।
जय , जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी ।
देव , दनुज, ऋषि-मुनि ,
सुरत नर – नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण
हैं तुम्हारी ।।
जय , जय श्री शनिदेव
भक्तन हितकारी ।
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