हजरत मुहम्मद साहिब अपने दोस्तों व इमामों को मस्जिद में ले गये और खड़ा करके पूछा, "आपके पास क्या-क्या है?" हजरत उमर ने कहा कि मेरी औरत है, लड़के-लड़कियाँ हैं, ऊँट वगेरह हैं । सबकुछ गिनते-गिनते आधा घंटा लग गया । इसी तरह दूसरों ने बताया । जब हजरत अली की बारी आई तो वे अपनी जगह से उठे और बोले," मेरा तो एक खुदा है और एक तू है। "
हजरत मुहम्मद साहिब का मतलब उनको समझाने का था सो इस तरह उन्होंने उनको समझा दिया । जो दुनिया में ज्यादा फंसा हुआ है, वह बार-बार दुनिया में जन्म लेता है । और जो परमात्मा से प्यार करता है वह क्यों दुनिया में भटकेगा ? सिर्फ दो लफ्जों की बात है ।
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