जम्मू से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा कैलख देव स्थान व शिव मंदिर भाईचारे का प्रतीक है । यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है । बाबा जी को 18 बिरादरी ( जातियों) के लोग अपना कुल देवता मानते है ।इनमें सेठ ब्राहमण, फव्वा महाजन, नरगोत्रा, मगोत्रा,मेहता, रैना, झीर सहित अन्य जातियां शामिल हैं । मुस्लिम समुदाय के घर मवेशी दूध देना शुरू करते हैं तो पहले 11 दिन तक दूध बाबा जी को भेंट किया जता है । उसके बाद ही दूध बाजार में बेचा जता है ।
बाबा कैलख देव जी इच्छाधारी नाग देवता हैं । जम्मू-घरोटा अखनूर सड़क पर ठठर बनतालाब में स्थित यह मंदिर नागलोक के राजा वासुकी जी का है, बाबा कैलख जी वासुकी नाग जी के पुत्र हैं । भेड़ देव, काई देव, सुरगल देव आदि नाग देवता बाबा जी के भाई हैं । दंत कथा के अनुसार वासुकी नाग जी का मंदिर भद्रवाह गांठा जम्मू - कश्मीर में है । वासुकी नाग जी को एक बार चर्म रोग हो गया । वैद्य ने कहा कि आपके कुल से कैलाश पर्वत से जो नदी रूप में जल लेकर आएगा, उस नदी में स्नान कर आप ठीक होंगे । वासुकी नाग जी ने परिवार की सभा बुलाकर कहा कि जो कैलाश पर्वत से पहले जल ले कर आएगा, उसे राज्य भेंट स्वरूप दे दूंगा ।
यह बात सुनकर सभी कैलाश पर्वत की और चल पड़े ।वासुकी नाग जी ने मायावी शक्ति से भेड़ देव जी को तवी
नदी पहले बहा कर दे दी । जब काई देव को पता चला तो पिता पर पक्षपात का आरोप लगाया । वासुकी देव जी ने उन्हें शांत करते हुए आशीर्वाद दिया कि वे जहां-जहां से भी नदी लेकर आएंगे, वह उनका राज्य होगा । काई देव ने जहां-जहां अपना जल बहाया, उनका राज्य हो गया ।
पहले तो बाबा कैलख देव रथान में एक छोटा सा मंदिर था । अब उसी स्थान पर विशाल मंदिर का निर्माण किया गया है । बाबा जी के मोहरे रखे है । इनमें बाबा जी को पंचमुखी नाग के रूप में दिखाया गया है । बाबा कैलख जी शिव भक्त हैं । इसीलिए उनके मंदिर क सामने दाएं कोने में विशाल शिव लिंग, शिव परिवार स्थापित किया गया है । यही नहीं मंदिर में माता वैष्णो, श्री लक्ष्मी नारायण जी, राधा-कृष्ण , भगवान परशुराम जी,हनुमान जी, शनिदेव जी की शिला की भी स्थापना की गई है । शिवलिंग की आराधना के लिए श्रावण मास में देवस्थान पर पूजा करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा रहती है ।अमूमन सोमवार और शनिवार को शिवभक्त पूजा के लिए पहुंचते है ।
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