जब "गुरु नानक देव जी" किशोर अवस्था के थे, उन्हें उनके पिता ने फसलों की देखरेख के लिए खेत भेजा वे खेत में जाकर प्रकृति के सौन्दर्य और गुरु ध्यान में लीन हो गए आने जाने वाले हैरत और हंसी से उन्हें निहारते निकल जाते
हैरत इसलिए कि चिड़िया खेत चुग रही है और वे (गुरु नानक जी) आनंदित हो रहे थे हंसी इसलिये कि बालक नानक की मुर्खता समझ वे रोमांचित हो रहे थे की कैसा बुद्धू है पिता ने खेत रखवाली करने को भेजा और ये चिड़ियों को भगा नहीं रहा है बल्कि प्रसन्न हो रहा है!
कुछ लोग घर जाकर शिकायत किया पिता दौड़े-दौड़े खेत पहुंचे तो देखा कि सैकड़ो की तादात में चिड़िया खेत चुग रही थी. पिता ने चिड़ियों को खेत से भगाया यह देख बालक नानक ने उन्हें रोकते हुवे कहा पिताजी इन्हें मत भगाइये, चिड़ियों को दाना चुगने दीजिये!
पिता ने कहा, कैसी मुर्खता भरी बातें करते हो, चिड़िया जब दाना चुग जाएगी तो हमारे लिए बचेगा क्या....?
बालक नानक ने आसमान की ओर उंगली उठाते हुवे कहा, इसे उस ऊपर वाले पर छोड़ दीजिये, उसको सबकी चिंता है हमारी भी और इन चिड़ियों की भी. बालक नानक के मुंह से निकला....
राम दी चिड़िया, राम दा खेत |
चुग लो चिड़ियों, भर-भर पेट।।
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