भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, कृष्ण जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र था, सूर्य सिंह राशि में तो चंद्रमा वृषभ राशि में था। सम्पूर्ण भारतवर्ष में सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु जी के आठवें अवतार नटखट नंदलाल यानी कि श्रीकृष्ण के जन्मदिन को श्रीकृष्ण जयंती या जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है.
अब बात करते है थोड़ा सा व्रत को लेकर जो संशय बना हुआ है... श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है. इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जगने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है. जन्माष्टमी व्रत व्रतराज है. विधि सहित पालन करने से आज अनेक व्रतों से प्राप्त होने वाली महान पुण्यराशि प्राप्त की जा सकती है. व्रत विधान जब रात में अष्टमी तिथि हो उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना श्रेष्ठ है. 23 अगस्त को अष्टमी की रात पर रोहिणी नक्षत्र आ रहा है. (बिलकुल प्रातः समय) लिहाज़ा गृहस्थों को इसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना है। 24 अगस्त को वैष्णव संप्रदाय व संन्यासी व्रत रखेंगे क्योंकि वैष्णव संप्रदाय उदयकालीन अष्टमी के दिन व्रत करते हैं और वह सब गोकुलष्टमी जोकि नंदोत्सव के नाम से भी जानी जाती है... मनाते हैं नाकि जन्माष्टमी विधान.
इस पावन पर्व विशेष में प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपनी दैनिक दिनचर्या का पालन करें. पश्चात स्नान करते समय इस विशेष मन्त्र का जप करते रहें....
"ऊं यज्ञाय योगपतये योगेश्रराय योग सम्भावय गोविंदाय नमो नम:"
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पश्चात अपनी पूजा आराधना आरम्भ करें...
पुण्य फल प्राप्ति हेतु आप निम्न मन्त्र से श्री कृष्ण जी के रूप का ध्यान करते हुए... जितना हो सके जप करें...
"ऊं यज्ञाय यज्ञेराय यज्ञपतये यज्ञ सम्भवाय गोविंददाय नमों नम:"
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जप निद्रा अवस्था का कर्म किया जाता है... तब यह पवित्र मन्त्र का जप कर लेना हितकर रहता है...
"विश्राय विश्रेक्षाय विश्रपले विश्र सम्भावाय गोविंदाय नमों नम:"
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जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त 🌞🌞
जन्माष्टमी की तिथि: 23 अगस्त और 24 अगस्त.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 11 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्त: 24 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 34 मिनट तक.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्त 2019 की सुबह 03 बजकर 47 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 25 अगस्त 2019 को सुबह 04 बजकर 16 मिनट तक.
अति शुभ मुहूर्त (मन्त्र जप - हवन इत्यादि) में 23 अगस्त को रात 12.21 से 03.07 बजे तक है। मान्यताओं के अनुसार व्रत का पारण अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र उतरने के बाद ही करना चाहिए। अगर दोनों संयोग एक साथ नहीं बन रहे हैं तो अष्टमी या फिर रोहिण नक्षत्र उतरने के बाद आप व्रत खोल सकते हैं।
24 अगस्त को पूजा का मुहूर्त रात्रि 10.58 से 12.21 तक का रहेगा.
विशेष :- समय मेरठ (उत्तर प्रदेश) के पंचागानुसार लिया गया है... स्थानीय समय में दो से चार मिनट का अंतर संभव है.
आपको सपरिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएं... यह पावन पर्व आपके जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आएं. 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
अरविन्दर सिंह ‘शास्त्री’ (मेरठ)
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