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जब ज़िंदगी लहूलुहान हो, तब मुस्कराना सीखो




 एक गरीब लड़का था, जिसका नाम था सूरज। वह रोज़ शहर की गलियों में अख़बार बेचता और स्कूल की फीस जमा करता। एक दिन, रास्ते में चलते हुए उसका पैर एक काँच के टुकड़े से कट गया। वह गिरा, खून बहने लगा, लेकिन उसने रोने की बजाय अपनी जेब से एक रूमाल निकाला और घाव पर बाँध लिया।

एक आदमी जो पास में खड़ा था, उसने पूछा, “तू रोया नहीं?”

सूरज ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “मैं गिरा जरूर हूँ, लेकिन रुका नहीं हूँ।”

वह बात उस आदमी के दिल को छू गई। कुछ दिनों बाद वही आदमी स्कूल में आया और सूरज की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी ले ली। सूरज आगे चलकर एक बड़ा पत्रकार बना।

सीख: गिरना बुरा नहीं, लेकिन गिरकर रुक जाना सबसे बड़ी हार है।

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