🌟 दुरूद-ए-गौसिया (Durood-e-Ghausia): ग़ौस-ए-आज़म की तवज्जोह का ज़रिया
🔸 अरबी متن:
اللهم صل وسلم وبارك على سيدنا ومولانا محمد معدن الجود والكرم وآله وصحبه وبارك وسلم
🔸 हिंदी उच्चारण:
“Allahumma salli wa sallim wa baarik ’ala Sayyidina wa Mawlana Muhammadin ma’dinil joodi wal karam wa aalihi wa sahbihi wa baarik wa sallim.”
✨ इस दुरूद के बेमिसाल फ़ायदे:
✅ ग़ौस-ए-पाक की तवज्जोह नसीब होती है।
✅ रुहानी ताक़त और इल्म का नूर बढ़ता है।
✅ रिज़्क़, बरकत और कामयाबी के लिए असरदार वज़ीफ़ा है।
✅ हर तरह की परेशानी, रुहानी उलझन या दुश्वार हालात से निजात।
✅ जिन लोगों को कश्फ़, इल्हाम या रुहानी तजुर्बात चाहिए – उनके लिए मुफ़ीद।
🙏 अमल का तरीका (तरीक़ा-ए-फ़ैज़):
🔹 रोज़ाना 100, 313 या 1000 बार पढ़ने की आदत बनाएं।
🔹 जुमेरात और जुमा के दिन ख़ास अमल करें।
🔹 किसी जायज़ हाजत के लिए 11 दिन तक 313 बार पढ़ें।
🔹 पढ़ते वक़्त ग़ौस-ए-पाक की रुहानी तवज्जोह की नियत ज़रूर करें।
🔹 हर दफा पढ़ने से पहले तीन बार दुरूद-इब्रहिमी भी पढ़ें।
🧘♂️ रुहानी असर:
दुरूद-ए-गौसिया सिर्फ एक वज़ीफ़ा नहीं, बल्कि रूहानी रूह का सफर है। इसका हर लफ़्ज़ आपको अल्लाह के करीब और ग़ौस-ए-पाक की नज़रों में मक़बूल बना देता है।
🤲 ख़ास दुआ:
"या ग़ौस-ए-आज़म, दस्तगीर!
हम पर फ़ैज़ान करम फ़रमाइए,
हमारी मुश्किलें आसान कीजिए,
और दिलों को नूर से भर दीजिए।
आमीन!"
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